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मराठी राजभाषा कवीराज वर्णीतसे थोरी। इये मर्हाटी भ

मराठी राजभाषा

कवीराज वर्णीतसे थोरी। इये मर्हाटी भाषेची।
वर्णीता गगन थोटके। भासतसे जवापडे।।धृ।।

ज्ञानियांचा राज वदला। अमृतासम माणीले हिजला।
कितयेक अलंकार वसती। तवं शब्दांमाजी।।१।।

थकली माझी वाणी। थोटकी झाली लेखनी।
वर्णीता सदा देखणी। मातृभाषा ही।।२।।

इये भाषेच्या जोडीला। अन्य कुणी ना तोडीला।
पाहता होई स्तब्ध।शब्दची नसे सौदर्याला।।३।।

कवीराज
९०२१०३४९१७. मराठी राजभाषा
मराठी राजभाषा

कवीराज वर्णीतसे थोरी। इये मर्हाटी भाषेची।
वर्णीता गगन थोटके। भासतसे जवापडे।।धृ।।

ज्ञानियांचा राज वदला। अमृतासम माणीले हिजला।
कितयेक अलंकार वसती। तवं शब्दांमाजी।।१।।

थकली माझी वाणी। थोटकी झाली लेखनी।
वर्णीता सदा देखणी। मातृभाषा ही।।२।।

इये भाषेच्या जोडीला। अन्य कुणी ना तोडीला।
पाहता होई स्तब्ध।शब्दची नसे सौदर्याला।।३।।

कवीराज
९०२१०३४९१७. मराठी राजभाषा