Fire of truth "हिमांश" ये आग है न जाने ख़ुद को, सबसे ज्यादा क्यों जलाती है। रोशन करती है सारे जहां को, और ख़ुद को राख कर जाती है ॥ धधकती है अन्दर-ही-अन्दर एक ज्वाला सी, बाहर सब ओर शांत बहती जाती है । उठती है जब तिलमिला सभी ओर से, तब विध्वंसक हो जगमगाती उड़ जाती है ॥ Fired..!!!