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कभी जी चाहता पंछी बनकर उन्मुक्त गगन में उड़ता जाऊं

कभी जी चाहता पंछी बनकर उन्मुक्त गगन में उड़ता जाऊं।
क्या क्या चाहे मन ये मेरा सारी दुनिया को दिखलाऊं।

कभी मैं गौरी के पैरों की पायल बनकर इठलाऊं,
छम छम करके उसके पैरों की सुन्दरता को और बढ़ाऊं।

कभी सूर्य का प्रकाश मैं बनकर अंधकार को दूर भगाऊं,
और कभी चंदा बनकर मैं निर्मलता का पाठ पढ़ाऊं।

कभी बनकर मैं गीतों की माला मानवता का प्रेम जगाऊं,
और कभी साहित्य सलिल से हृदय परिवर्तन का मार्ग बनाऊं।

कभी मंदिर की घंटनाद से गुंजाऊं ये जग सारा,
और कभी मुला की अज़ान से सत्य का पीटूं नक्कारा।

कभी मिट्टी की सौंधी खुशबू से देशभक्ति के गीत बनाऊं,
भारत भूमि माता मेरी इस पर अपना शीश चढ़ाऊं।

और न कुछ बनने की चाहत ऐ मालिक बस इतना कर दे,
मानवता की इस सृष्टि में मैं एक सच्चा मानव बन जाऊं।
हिसाम
04/01/1998

©Hisamuddeen Khan 'hisam' #alonesoul#humanity#spiritualism# Buddhist Monika rathee सृजनात्मा Meenakshi Kashif Raza Khan RAVINANDAN Tiwari  Shubhra Saxena  Antima Jain
कभी जी चाहता पंछी बनकर उन्मुक्त गगन में उड़ता जाऊं।
क्या क्या चाहे मन ये मेरा सारी दुनिया को दिखलाऊं।

कभी मैं गौरी के पैरों की पायल बनकर इठलाऊं,
छम छम करके उसके पैरों की सुन्दरता को और बढ़ाऊं।

कभी सूर्य का प्रकाश मैं बनकर अंधकार को दूर भगाऊं,
और कभी चंदा बनकर मैं निर्मलता का पाठ पढ़ाऊं।

कभी बनकर मैं गीतों की माला मानवता का प्रेम जगाऊं,
और कभी साहित्य सलिल से हृदय परिवर्तन का मार्ग बनाऊं।

कभी मंदिर की घंटनाद से गुंजाऊं ये जग सारा,
और कभी मुला की अज़ान से सत्य का पीटूं नक्कारा।

कभी मिट्टी की सौंधी खुशबू से देशभक्ति के गीत बनाऊं,
भारत भूमि माता मेरी इस पर अपना शीश चढ़ाऊं।

और न कुछ बनने की चाहत ऐ मालिक बस इतना कर दे,
मानवता की इस सृष्टि में मैं एक सच्चा मानव बन जाऊं।
हिसाम
04/01/1998

©Hisamuddeen Khan 'hisam' #alonesoul#humanity#spiritualism# Buddhist Monika rathee सृजनात्मा Meenakshi Kashif Raza Khan RAVINANDAN Tiwari  Shubhra Saxena  Antima Jain