अफ़सोस ग़ज़ल गए हो छोड़ के जबसे कहाँ अब होश रहता है तुझे खोने का मुझको आज भी अफ़सोस रहता है तुम्हारी याद में घुट घुट के पत्थर सा हुआ हूँ मैं मिरे आँखों का बहता अश्क भी अब ठोस रहता है फ़क़त मय नाम से बदनाम है सुन लो मिरी जानां तिरे आँखों मे डूबा शख़्स भी मदहोश रहता है अजब सा शोर करती है मिरी साँसें तिरी साँसें तिरे आरिज़ को छूकर लब मिरा ख़ामोश रहता है "गराई" हार जाता है, लड़ाई तुम जो करती हो हराने का नहीं ज़ज्बा नहीं अब जोश रहता है #ग़ज़ल #अफ़सोस #ख़ामोश #होश #जोश #NojotoGhazal #NojotoHindi #MrgGhazal #Ghazal #Mrgwrites