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उसकी इक जिद्द के आगे किसी की क्या चली है, उसकी एक

उसकी इक जिद्द के आगे किसी की क्या चली है,
उसकी एक मुश्कराहत पर सारी क़ायनात फीकी है,
जिसे मेले में लेजाना भी हमारी मजबूरी है,
पर क्या करे वो भी तो जरूरी है,
आखिर बहन जो हमारी थेरी है,ओर 
जब से वो तूफान बनी हमारी बहन है,
तब से हमारी बेमतलब ही लगी है। #सभीको भाई-दूज की सुभकामनाये
उसकी इक जिद्द के आगे किसी की क्या चली है,
उसकी एक मुश्कराहत पर सारी क़ायनात फीकी है,
जिसे मेले में लेजाना भी हमारी मजबूरी है,
पर क्या करे वो भी तो जरूरी है,
आखिर बहन जो हमारी थेरी है,ओर 
जब से वो तूफान बनी हमारी बहन है,
तब से हमारी बेमतलब ही लगी है। #सभीको भाई-दूज की सुभकामनाये