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अपने से बड़ों के आदर मजबूरी नही फर्ज है चुकाना जि

अपने से बड़ों के आदर
मजबूरी नही फर्ज है 
चुकाना जिसे आवश्यक है
ऐसा ही कुछ ये कर्ज है
जिन्हें इस बात की समझ नही है
उन्हें अहम का मर्ज है
समझ इस बात की वँही पनप सकती
जँहा प्यार का अहसास और दर्द है! 
द्वारा:-RNS. #बड़ों का आदर.
अपने से बड़ों के आदर
मजबूरी नही फर्ज है 
चुकाना जिसे आवश्यक है
ऐसा ही कुछ ये कर्ज है
जिन्हें इस बात की समझ नही है
उन्हें अहम का मर्ज है
समझ इस बात की वँही पनप सकती
जँहा प्यार का अहसास और दर्द है! 
द्वारा:-RNS. #बड़ों का आदर.