सबको अपना ग़म प्यारा, बाँटे औरों का ग़म तो माने, भुलाकर ज़ख़्म, होने ना दे उनकी आँखें नम तो माने। लोग-ज़माने की बातों की भी होती है बेहिसाब फ़िक्र, जताकर सरेआम अपना, सहने ना दे सितम तो माने। ज़रा-ज़रा सी बातों से हो परेशाँ, कैसे दिल बदलते हैं, छोड़कर के ख़ुदगर्ज़ी, आड़े आने ना दे अहम तो माने। ज़ख़्म हर-एक का गहरा है यहाँ, ज़रूरी है हमदर्द भी, चलकर साथ हमेशा, पीछे छूटने ना से क़दम तो माने। अपना कहना आसाँ, निभाये तो बात मानी जाए 'धुन', अपनों की महफ़िल में बुला, जताये ना अदम तो माने। -संगीता पाटीदार 'धुन' अदम- Nothing, No Existence Rest Zone आज का शब्द- 'ज़ख़्म' #rzmph #rzmph41 #ज़ख्म #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #poetry #rzhindi