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असली होली तो श्मशान की है जलता शरीर होलिका सा प्र

असली होली तो श्मशान की है
जलता  शरीर होलिका सा
प्रह्लाद रूपी आत्मा अप्रभावित
तन पर रंग लगा चिता राख का
मन मौजी मेरा अघोरी मन
रोते बिलखते सभी प्रियजन
मौन शांत शून्य में खड़ा देखता मैं सब
क्षण भर का रुदन क्षण भर का विलाप
फिर दैनिक कर्मो में लग जाते सभी जन
फिर तेरा मेरा की खींचातानी
फिर परिग्रह करता लोभी मन
फिर एक दिन होता ताण्डव मृत्यु का
फिर पहुँचता श्मशान में
इच्छाओं से भरा एक निष्प्राण तन
फिर फूंकी जाती होलिका उसकी
फिर रोते बिलखते बचे हुए प्रियजन
जिनके तन की भी होलिका जलनी है एक दिन
(यही माया चक्र है)

©Vikaash Hindwan #Thoughtless 

#Holi
असली होली तो श्मशान की है
जलता  शरीर होलिका सा
प्रह्लाद रूपी आत्मा अप्रभावित
तन पर रंग लगा चिता राख का
मन मौजी मेरा अघोरी मन
रोते बिलखते सभी प्रियजन
मौन शांत शून्य में खड़ा देखता मैं सब
क्षण भर का रुदन क्षण भर का विलाप
फिर दैनिक कर्मो में लग जाते सभी जन
फिर तेरा मेरा की खींचातानी
फिर परिग्रह करता लोभी मन
फिर एक दिन होता ताण्डव मृत्यु का
फिर पहुँचता श्मशान में
इच्छाओं से भरा एक निष्प्राण तन
फिर फूंकी जाती होलिका उसकी
फिर रोते बिलखते बचे हुए प्रियजन
जिनके तन की भी होलिका जलनी है एक दिन
(यही माया चक्र है)

©Vikaash Hindwan #Thoughtless 

#Holi