रात के इंतजार में हम रुकते चले गए, इंतजार में उनके वक़्त में हम झूलते चले गए दिल के पास होकर भी वो हमे भूलते चले गए एक नज़्म में आने के बाद हम खुद ही खुलते चले गए। पास होकर भी हम दूर क्यों खड़े आज रात में अंगारों के दिल में शुल क्यों पड़े अपनी राहों को आज हम भूल क्यों पड़े बिना कहे सब कह कर हम खुद को घुर क्यों रहे। बस आज होगया है जितना सोच है खुद में आज हो गया है जितना दोष है मुझ में आज सो गया है जितना नींद है जिस्म में हो गया है बारिश जितना गर्म है मिट्टी ग्रीष्म में पहली बार मिले तब दिल आवारा था दूसरी बार मिले तब दिल मुस्कुरा रहा था तीसरी बार मिले तब दिल गाना गा रहा था चौथी बार मिले तब दिल बेचारा था और अब अगर मिल गए कही तो दिल मुझे ही सुना रहा था। *बात ख़तम हो कर शुरू हुई पर बढ़ ना पाई रात ख़तम हो कर सुबह हुई पर बात कह ना पाई।* © कव्यप्रिंस #CloudyNight #alone #mute #perfectnight #Be #Strong