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जिनकी मिट्टी बँधी होती है गाँव की मिट्टी से सुना

जिनकी मिट्टी बँधी होती है 
गाँव की मिट्टी से 
सुना है उनके भीतर 
एक पूरा गाँव बसा होता है..!
बावड़ी के पास, 
छायादार वृक्षों से 
मन बँधा होता है..।

मैंने भी माँ की आँखों में
मिट्टी से लिपे-पुते घरों में
चूल्हे-सा महकता 
देखा था...एक गाँव..।
भरी दोपहरी जिसमें
आम्र-कुंजों से आ रही थी
ठंडी-शीतल छाँव..।

ऐसे ही हर वर्ष, मामा भी मेरे....
कंधे पर रख मटकी 
थोड़ा-सा गाँव, शहर ले आते थे।
रसवाल की महक भर से 
खिल उठता था 
माँ की आँखों में
फिर एक मीठा-सौंधा गाँव..। 

गाँव से जुड़े लोगों के भीतर
थोड़ा-सा पानी और थोड़ी-सी धूप
सदा रहती है।
तभी आते ही अपनी मिट्टी के निकट 
उनके भीतर की फसल लहलहा उठती है।
उनका मिट्टी के प्रति प्रेम
उनको कभी सूखने नहीं देता..।। 

#एक गाँव बसता है....


जिनकी मिट्टी बँधी होती है 
गाँव की मिट्टी से 
सुना है उनके भीतर
जिनकी मिट्टी बँधी होती है 
गाँव की मिट्टी से 
सुना है उनके भीतर 
एक पूरा गाँव बसा होता है..!
बावड़ी के पास, 
छायादार वृक्षों से 
मन बँधा होता है..।

मैंने भी माँ की आँखों में
मिट्टी से लिपे-पुते घरों में
चूल्हे-सा महकता 
देखा था...एक गाँव..।
भरी दोपहरी जिसमें
आम्र-कुंजों से आ रही थी
ठंडी-शीतल छाँव..।

ऐसे ही हर वर्ष, मामा भी मेरे....
कंधे पर रख मटकी 
थोड़ा-सा गाँव, शहर ले आते थे।
रसवाल की महक भर से 
खिल उठता था 
माँ की आँखों में
फिर एक मीठा-सौंधा गाँव..। 

गाँव से जुड़े लोगों के भीतर
थोड़ा-सा पानी और थोड़ी-सी धूप
सदा रहती है।
तभी आते ही अपनी मिट्टी के निकट 
उनके भीतर की फसल लहलहा उठती है।
उनका मिट्टी के प्रति प्रेम
उनको कभी सूखने नहीं देता..।। 

#एक गाँव बसता है....


जिनकी मिट्टी बँधी होती है 
गाँव की मिट्टी से 
सुना है उनके भीतर