जब भी मैं तुम्हारा ध्यान करता हूं, छिरक देता हूं, कुछ बूंदे हवा में अभिषिक्त करके। इस प्रकार मेरा कुछ अधिकार बढ़ जाता है तुम पर। या तो हम दोनों संगम सा पवित्र हो जाएंगे। या मणिकर्णिका के जैसे हमारा सब कुछ भस्म हो जाएगा।। ©Nikhil Sharma बनारस मणिकर्णिका