Nojoto: Largest Storytelling Platform

मुनव्वर है ग़म-ए-शाम-ए-ज़िन्दग़ी, चिराग़ हौसलों के सु

मुनव्वर है ग़म-ए-शाम-ए-ज़िन्दग़ी,
चिराग़ हौसलों के सुलगाए बैठे हैं,
लकीर हँसी की न हो नसीब मंज़ूर,
हम ग़मों से महफ़िल सजाए बैठे हैं।

©Ruh Ki Aawaaz #मुनव्वर #ग़म #हौसला #motivational
#pakizaahmad 
#roza_ahmad_aawaaz 
#ruhkiaawaaz 
#रूह_की_आवाज़ 
#रोज़ा_अहमद_आवाज़