मैरी मजबूरियों ने मेरे पर कतर दिए, वरना में भी था परिंदा ऊंची उड़ान का। हार का डर मन से हटा कर, देखें कतरे हुए परों से एक ऊंची उड़ान भर कर। आज फिर कतरे हुए परों से हमने उड़ना सीख लिया, ज़िन्दगी को फिर से जीना सीख लिया। गिर के उड़ना, उड कर गिरना, इसे ही तो कहते है, जीवन चक्र में आगे बढ़ते रहना। #जीवन चक्र