कैसे?गाये मल्हार..... मेरी कश्ती मेें पानी भरने वाला है। मेरे सपने ही सुराग करने वाले है।। मन रिसाव हो रहा.... पानी मेरी कश्ती मेें,अब भरा जा रहा। पानी फिरा जा रहा,मन भरा जा रहा।। तन रुसवा हो रहा.... जग छोड़ जाने तन रुसवा हो रहा। जन मेें अपने से मन बेचैन हो रहा।। प्रार्थना अब स्वीकार नही.... हर जतन हार गया, तन स्वीकार को नही। हर सपन हार गया,प्रार्थना अब स्वीकार नही।। लहर की ललकार.... हर लहर का एक सवाल है? हर लम्हे मेें तेरा ही सवाल है।। हर उठी करे लहर की ललकार ।। हर उठी लहर से जयकार ।। #प्यार#मल्हार #नाविक #goodmorning