पूछो इंतज़ार कबतक, अपनी बारी आने तक, चलता मन में द्वंद सदा, मरघट की तैय्यारी तक, कबतक दोगे साथ मेरा, साँसों की अय्यारी तक, पहुँचेगा जलश्रोत कहाँ, फूलों की हर क्यारी तक, हुई प्रार्थना सफल तभी, जब पहुँची वनवारी तक, ताल्लुक़ात रक्खे दुनिया, लेन-देन से उधारी तक, 'गुंजन' हाथ पकड़ उसका, जो साथ चले गिरधारी तक, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ प्र• ©Shashi Bhushan Mishra #पूछो इंतज़ार कबतक#