उसकी ख़ामोशी ने सब बयां कर दिया नज़र से नज़र मिलाना फिर नज़र का चुराना लब को अपने हिलाना देख के चुप हो जाना पास हो के भी दूर, मुझसे दूर हो जाना इज़हार-ए-मोहब्बत कैसी है ये जाना।। ✍️आकिब जावेद नज़र से नज़र मिलाना फिर नज़र का चुराना लब को अपने हिलाना देख के चुप हो जाना पास हो के भी दूर, मुझसे दूर हो जाना इज़हार-ए-मोहब्बत कैसी है ये जाना।।