याद है वो तुम्हें सूनी गलियां जिनमें अक्सर मैं खुद को कैद कर लिया करता था याद तो है ना वो सूनी सड़क का सफर तुम्हें जब कहा था तुमने, जय इस पल को मै अपने ख्वाहिशों के पिटारे से निकाल दिल में मोहब्बत की गलियों में सजा देना चाहती हूं याद तो है ना जब कहा करती थी तुम मुझे, जय वो सर्द रात का सुहाना सफर उस सुनसान सी सड़क पर तुम्हारी उंगलियों के बीच अपने हाथ की हथेली की छुअन का अहसास पल पल तेरे मेरे दरमियान दूरी को कम किए जा रहा है याद है ना या शायद भूल गए उन सूनी सड़क पर बेवफा हवाओं की लहरों की तरह याद है ना वो सूनी सड़क का सफर??✍️✍️ मेरी कलम✍️✍️ कुछ रास्ते, कुछ सड़कें, कुछ मोड़ हमारे ज़ेहन में महफ़ूज़ हो जाते हैं। #सूनीसड़क #collab #yqdidi ... YQ Sahitya पर पढ़ें हिंदी साहित्य की बेहतरीन रचनाएँ। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqbaba