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कुछ इश्क था,कुछ मजबूरी थी,जो जीवन हमने वार दिया। अ

कुछ इश्क था,कुछ मजबूरी थी,जो जीवन हमने वार दिया।
अब रोना क्या पछताना क्या, जो वार दिया सो वार दिया।।
यह जलता बुझता हर मंजर,इन आँखों में आकर खून हुआ।
इन आँखों से मोती कौन चुने,वह कातिल, वह दिलदार गया।।

©Shubham Bhardwaj
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