कोहरा सा छाया हैं वो मौसम ना जाने कहा गया । हाथ से छूटता वो धुंआ बदल कर बादल बन गया। मुठ्ठी में सिमटती सी जिन्दगी मेरी खुलते ही ना जाने किस ओर बढ़ता चला गया। ##धुंए मेसिमती जिन्दगी