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ये जो बारिश की बूंदे है न बेहद अजीज थी मेरी न जाने

ये जो बारिश की बूंदे है न
बेहद अजीज थी मेरी
न जाने कितने बार आखिर
इसमें भीगा होऊंगा
और न जाने कितने बार डांट खाई होगी मैने
कितनी ही  बार कागज़ की नाव बनाके
बाहर बहते चंद लम्हे के दरिए में 
बहाई होगी मैने।
ऐसा नहीं है, कि अब भीगता नहीं
बस मजबूरी और शौक के बीच का जो फासला है
अब तय नहीं कर पाता कि कब और कितना भीगना है आखिर।
हां! भीगूंगा एक दिन
दिल खोल के
शायद जिस दिन दुनिया से रुखसत होऊंगा
उस दिन आसमान मेरी ये तमन्ना पूरी कर दे।
जम के भीगूंगा।जी भर के

©ADiL KHaN (शहज़ादा)
  #Pattiyan शहजादा उदास है आज।

उसकी रियासत वीरान है

#Pattiyan शहजादा उदास है आज। उसकी रियासत वीरान है #Life

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