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आज तक मेरी ज़िन्दगी कभी ऐसी न थी: आसमां ऐसा नहीं था

आज तक मेरी ज़िन्दगी कभी ऐसी न थी:
आसमां ऐसा नहीं था और जमीं ऐसी न थी!

हम बिछड़ने से हुए गुमराह वर्ना इससे कब्ल :
एक मेरा दामन तर न था मेरी जबीं ऐसी न थी!

अब जो बदला है तो अपनी रूह तक हैरान हूँ :
तेरी जानिब से मैं शायद बे-यक़ीं ऐसी न थी!

क्या हवा आई कि इतने फूल दिल में खिल गए :
पिछले मौसम में ये शाख-ए-जमीं ऐसी न थी!

©V. Aaraadhyaa
  #ऐसी ना थी Women
vaaradhya2245

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#ऐसी ना थी Women #शायरी

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