सामने जो मिला रास्ता में एक पत्ता तो वो भी अपने टूटने की कहानी बयान कर गई पेड़ से टूट कर वो भी रास्ते पर आ गई ना है कोई डाल ना पानी देने वाला कोई जड़ दब गई वो भी सभी के पाव के नीचे थोड़ी मैली हो गई,थोरी खराब भी हो गई मगर मैं भी थोड़ा खुदगर्ज हुं उसे अपनापन दिखाकर खुद के पास रख लिया सड़क के किनारे जलाकर खत्म कर दिया! आखिर टूटे हुए पत्ते को दुनिया समेटे भी तो क्यूं समेटे! हाथ को गर्म करने से ज्यादा क्या इनकी कोई औकात है जो रहे ठंड का मौसम तो हर कोई इनका करीबी हो जाता है जो आए जब गर्मी का मौसम तो तन्हाई में खुद को जलाकर खाक कर लेती है पत्ता