लाख अड़चनों से मुझे, है जिसने बचाया, खुद होकर उदास , मुझे जिसने हँसाया। काँटो की चुभन खुद कर महसूस, मेरे राह पर जिसने फूल बिछाया, गलती जब भी हुई मुझसे , प्यार का डाँट जिसने लगाया, रात की नींद खुद की उड़ाकर, चैन की नींद मुझे जिसने सुलाया, मैने उन्हें दर्द भी दिए जाने अनजाने, पर उसने एकपल में उस दर्द को भुलाया, बोलना सीखी जो शब्द पहला, वो था जुबाँ में माँ आया, चलना सीखी थी जो पहला कदम, था पापा ने ऊँगली पकड़कर सिखाया। है मेरे ये ही प्रथम गुरु, जिन्हें खुद खुदा ने है, इस धरती का ईश्वर बताया। शिक्षक