मेरी क़लम जब दर्द बयाँ करेंगे तुम ढूंढना उन शब्दों में खुदको फ़ासले शायद काम होंगे तुम समझ सकोगी मुझको वक़्त बे वक़्त क्यों जागता हूँ तुम सुला सको शायद मुझको अब क़ैद सी लगती है जिंदगी कर सको तो करो रिहा मुझको फ़िसल न जाऊँ फिर कहीं मैं आओ थाम लो मुझको ©iamkumargourav #mypoemmyfeelings