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मेरी क़लम जब दर्द बयाँ करेंगे तुम ढूंढना उन शब्दों

मेरी क़लम जब दर्द बयाँ करेंगे
तुम ढूंढना उन शब्दों में खुदको
फ़ासले शायद काम होंगे
तुम समझ सकोगी मुझको
वक़्त बे वक़्त क्यों जागता हूँ
तुम सुला सको शायद मुझको
अब क़ैद सी लगती है जिंदगी
कर सको तो करो रिहा मुझको
फ़िसल न जाऊँ फिर कहीं मैं
आओ थाम लो मुझको
©iamkumargourav #mypoemmyfeelings
मेरी क़लम जब दर्द बयाँ करेंगे
तुम ढूंढना उन शब्दों में खुदको
फ़ासले शायद काम होंगे
तुम समझ सकोगी मुझको
वक़्त बे वक़्त क्यों जागता हूँ
तुम सुला सको शायद मुझको
अब क़ैद सी लगती है जिंदगी
कर सको तो करो रिहा मुझको
फ़िसल न जाऊँ फिर कहीं मैं
आओ थाम लो मुझको
©iamkumargourav #mypoemmyfeelings