मेरे बाद बन जाना तुम शायर, नज़्म इक तुम बनाना । नज़्म लफ्जों से अपनी कहानी सजाना ।। गर हो जाऊँ मैं जब रूख़सत-ए-ज़िन्दग़ी । तुम जन्नत सा अपना जहाँ इक बसाना ।। बन के गायक तुम मेरी, कविता, गज़ल गुनगुनाना । दास्ताँ-ए-मुहब्बत हमारी कहानी सुनाना ।। गर हो जाऊँ मैं जब रूख़सत-ए-ज़िन्दग़ी । तुम जन्नत सा अपना जहाँ इक बसाना ।। उस जहाँ में मुझे तुम, ना ज़रा याद करना । उस जहाँ बीच तुम अपनी, सारी खुशियाँ बसाना ।। ऐ मुहब्बत मेरी ज़रा गौर करना । मेरे जनाज़े को छूकर ज़रा मुस्कुराना ।। राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी (भाग-2) मेरे बाद