इतना आसान नहीं था अपने सपनों की उड़ान भरना ।। समझाना पड़ा अपनी बातें हमें कई दफा अपने ही लोगों को ।। तोड़नी पड़ी बेड़ियाँ वो हर रस्मों - रिवाजों की जो डालती रही रुकावटें मेरे मार्ग में ।। वक्त - बेवक्त सुनने पड़े लोगों के ताने और उलहनें ,, करने पड़े कितने सारे समझौते जीवन से ।। चलना पडा़ बिना थके, बिना हार माने निरंतर अपने कर्म - पथ पर ।। ना दिन देखी ; ना रात देखी, ना तपती धूप देखी ; ना बरसात देखी ,, देखी तो सिर्फ मैंने ; मुझसे लगी उम्मीदों की जलती हुई मसाल देखी। ©Alfaj. E.Chand. (Moon ) #naarishaktizindabad #artikri #hindinama #nojotohindi #naarishakti #naarishakti