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आस का इक दरिया था मुझ में इक गुलशन सजता था मुझ में

आस का इक दरिया था मुझ में
इक गुलशन सजता था मुझ में

दिल में अरमां रखने वाला
इंसां इक बसता था मुझ में

थे वो दिन जब कांटों पर भी
चलने का जज़्बा था मुझ में
odysseus9022

Odysseus

Bronze Star
New Creator

आस का इक दरिया था मुझ में इक गुलशन सजता था मुझ में दिल में अरमां रखने वाला इंसां इक बसता था मुझ में थे वो दिन जब कांटों पर भी चलने का जज़्बा था मुझ में #Song #ghazal

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