अफ़साना बेबस तन्हा छोड़ जाना इश्क़ का मुझे याद है अ़फसाना इश्क़ का करते थे जब इश्क़ की इबादत था वो भी एक ज़माना इश्क़ का दुख सुख के वो राग अलबेले सुरमय मधुर गाना इश्क़ का मरते दम तक साथ का वादा मगर साथ न निभाना इश्क़ का समझ गया है बेचारा सा दिल नहीं रहा अब ठिकाना इश्क़ का मालूम होता तो बिछड़ते ही मरते होगा महियत पर आना इश्क़ का। ✍️"हुड्डन"🙏 #अफसाना_ए_इश्क़