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रोला छंद जिसका न आदि अंत,पुकारे जिसे अनंता। नि

रोला छंद 


जिसका न आदि अंत,पुकारे जिसे अनंता। 
निराकार वह शक्ति, ओंकार जपले मंत्रा।।  
 भोला बम -बम नाथ,डमरु वह हाथ विराजे। 
सर्प सुशोभित कंठ,*जटाओं में शशि साजे।।*

©Usha bhadula
  #mobileaddict रोला छंद ( शिव)
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Usha bhadula

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#mobileaddict रोला छंद ( शिव) #कविता

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