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छोड़ के सारे तराने आ गए मंजिलें अपनी बनाने आ गए

छोड़ के सारे तराने आ गए 
मंजिलें अपनी बनाने आ गए 
देख मिट्टी में लिपटे बचपन को
गाँव के दिन पुराने याद आ गए 

भूख के मंजर को देखा जब कभी
नम हुई आँखें मगर हमने फेर ली
जेब के चंद रुपये पर हाथ रख 
अपनी बेबसी के बहाने आ गए 

फूलों की राह समझा जिन्हें हमने 
चुभते काँटों की गलियाँ निकली 
मेहरब़ा, हमसफ़र बने थे जो कभी
उन्हें ही नश्तऱ चुभोने आ गए 

जिनकी आहट से मुस्कान आती थी 
सरसराते पत्ते भी सुर-तान गाते थे 
मन का दामन हुआ छलनी इस कद़र 
हमें हसने-हसाने के तरीके आ गए #तराने
छोड़ के सारे तराने आ गए 
मंजिलें अपनी बनाने आ गए 
देख मिट्टी में लिपटे बचपन को
गाँव के दिन पुराने याद आ गए 

भूख के मंजर को देखा जब कभी
नम हुई आँखें मगर हमने फेर ली
जेब के चंद रुपये पर हाथ रख 
अपनी बेबसी के बहाने आ गए 

फूलों की राह समझा जिन्हें हमने 
चुभते काँटों की गलियाँ निकली 
मेहरब़ा, हमसफ़र बने थे जो कभी
उन्हें ही नश्तऱ चुभोने आ गए 

जिनकी आहट से मुस्कान आती थी 
सरसराते पत्ते भी सुर-तान गाते थे 
मन का दामन हुआ छलनी इस कद़र 
हमें हसने-हसाने के तरीके आ गए #तराने
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Anjna

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