नारि ----------- चली है एक नारि-नारि की रक्षा के लिए प्रकृति के पथ पर.. देखते है उस पथ पर मेरे देश का विकास होगा या विनाश होगा.. मेरे देश की कैसी होगी तशवीर, उस तस्वीर का कैसा दीदार होगा। या तो हमारा कश्मीर होगा,या फिर पाक साफ होगा। चली... चीर देंगी नारियां उस दुश्मन का सीना,जो भारत माता पर नजर उठता होगा। बहुत पहनली इन नाजुक हाथों ने चूड़ियाँ, अब चूड़ी की जगह इन हाथों में हथियार होगा। चली... सुनी थी जिन के बिन मेरे देश की सीमाएं, अब उन सीमाओं पर हसीनाओं के दीदार होगा। ना होगी अब किसी माता की गोद सुनी,क्योंकि अब वक़्त आ गया है दुश्मन के आर होगा या पार होगा। चली.. समझते हैं जो लोग कमजोर नारि को,क्या कभी चख कर देखा है इस तीखी तरकारी को। लगा देंगी सीने में आग,दुश्मन जल कर खाक होगा। चली.. याद करो उस नारि को जो पीठ पर बच्चा बाधी थी,खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी। भूल गये होगें उस को तुम जो कान्हा की दीवानी थी,कृष्ण प्रेम में जग से लड़ गई,वो मीरा दीवानी थी। आज परीक्षा फिर नारि की फिर कोई चमत्कार होगा। चली...