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करगिल विजय दिवस पे सभी सैनिकों को नमन (पूरी कविता

करगिल विजय दिवस पे सभी सैनिकों को नमन

(पूरी कविता अनुशीर्षक में)  ------------------------------------------------------
करगिल के दुर्गम रस्तों पे,
दुश्मन ने बीज जंग के बोए थे।
दहक उठी थी वादी,
हम घरों में चैन से सोए थे।

कठोर वो संग्राम था,
बुलंदी पे शैतान था।
करगिल विजय दिवस पे सभी सैनिकों को नमन

(पूरी कविता अनुशीर्षक में)  ------------------------------------------------------
करगिल के दुर्गम रस्तों पे,
दुश्मन ने बीज जंग के बोए थे।
दहक उठी थी वादी,
हम घरों में चैन से सोए थे।

कठोर वो संग्राम था,
बुलंदी पे शैतान था।
nojotouser1472989357

शुभी

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