अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा… चलता रहूँगा पथ पर, चलने में माहिर बन जाऊँगा, या तो मंजिल मिल जायेगी या अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा… पसीने की स्याही से जो लिखते हैं इरादें को, उसके मुक्कद्दर के सफ़ेद पन्ने कभी कोरे नही होते… अच्छा मुसाफिर