अभाव:- अभाव ग्रीष्म(गर्मी) को वृक्षों का, अभाव शीत(ठंड) को कपास का, अभाव मरूस्थल को पानी का, अभाव सागर को किनारे का। अभाव देह को वस्त्रो का, अभाव पैरों को जूतों का। अभाव क्षुधा(भूख) को भोजन का, अभाव तृषा(प्यास) को जल का। अभाव बचपन को शिक्षा का, अभाव शिक्षा को गुरु का, अभाव यौवन को प्रेम का, अभाव नैत्रों को दृश्यों का। अभाव व्याधि(बिमारी) को दवा का, अभाव डिग्री को रोजगार का, अभाव पुस्तक को पाठक का, अभाव कविता को श्रोता का। अभाव बेघर को छाया का, अभाव अनाथ को वात्सल्य का, अभाव बुढ़ापे को संतान का, अभाव किन्नर को समाज का। अभाव भूमि को किसान का, अभाव किसान को पहचान का, अभाव कंजक को कन्या का, अभाव देवी(स्त्री) को रक्षण का। अभाव पर्यावरण को हरियाली का, अभाव नदियों को स्वछत्ता का, अभाव जीवों को संरक्षण का, अभाव योग्य को अवसर का। अभाव हिंदी को मान का, अभाव स्वदेशी को देश का, अभाव राष्ट्र को भक्ति का, अभाव सेना को सम्मान का। ये अभाव कहां समझे धनवान, ये अभाव है भाग्य निर्धन का, अभाव अभाव की समझ का, ये अभाव है मेरे हिंद का। अभाव यहां मान का हो चला, अभाव यहां मर्यादा का, अभाव अब कन्या का हो चला, अभाव बुढ़ापे की लाठी का। अभाव यहां खेतों का हो चला, अभाव गुणवत्त अनाजों का, अभाव अब कूपों का हो चला, अभाव परस्पर पानी का। अभाव यहां वनों का हो चला, अभाव खल-खल करती नदियों का, अभाव अब पक्षियों का हो चला, अभाव जंगल के नहारों(शेरो) का। अभाव यहां फूलों का हो चला, अभाव गुनगुनाते भंवरों का, अभाव अब भगत सिंहों का हो चला, अभाव चन्द्र शेखर आजादों का। अभाव में मानव है आधे, अभाव में पशुधन है सारा, क्यूं दिखता नहीं सक्षम को कुछ भी, क्यूं हो गया पैसा खेल है सारा। जाग मानव, देख मानव, तू ही कर्तम-करता है, पैसा ही पैसा बनाने में, क्यूं व्यर्थ समय नष्ट करता है।