हां मैं जिद्दी हूं, जहां जहां तुम गलत हो मैं वहां जिद पर अड़ू, जहां-जहां मुसीबत आन पड़ी मैं तुम्हारी ढाल बनू, धूप में जले जो बदन तुम्हारा मैं तुम्हारी ठंडी बरसात बनू, थक हार के जब बैठ जाएगा राहों में मैं तुम्हारी छांव बनू, हां मैं जिद्दी बहुत हूं, ना खुद हारू, !....ना तुम्हें हारने दू। जानते हूं इसीलिए मैं इतनी जिद्दी हूं। ❤ नमस्कार ❤ 🎀 प्रतियोगिता संख्या- 11 🎀 शीर्षक:- #तू_इतनी_जिद्दी_क्यों 🎀 कोई शब्द सीमा नहीं है।