अच्छा सुनो... कभी कभी मन करता है कि बनारस के घाट की सीढ़ीयों पर बैठकर तुमसे खूब ढेर सारी बातें करूँ... रूकूँ नहीं और ना ही रोकूँ... मैं तुमसे सबकुछ कह दूं... और तुम सब सुन लो... गंगा के पानी की खल खल आवाज़ के बीच दूर तक जाती इस नदी को देखूँ... कभी इस तरफ़ तो कभी उस तरफ़ ... और जब देखूँ तुम्हारी तरफ़ तो तुम मेरी तरफ़ देख रही हो... काफी दिनों से सोच रहा हूं तुम्हारे बारे में... कि मेरे हाथो में तुम्हारा हाथ हो... तुम बैठो मेरे साथ, जिसे मैं देखूं, लाल होंठ, लाल चूड़ी में... फिर तुम्हारी गोद में सर रखकर लेट जाऊं... और कुछ देर में तुम मेरे बालों में हाथ फेरने लगना... फिर शाम होने पर घर चलूं... किचन में तुम्हारा हाथ बंटाऊं... तुम्हारी चूड़ियों की खनखनाहट सुनूं... कूकर की सीटी बजने पर डांस करूं... साथ में बर्तन धोऊँ और बहाने से हाथ टकराऊँ... मुझे बदले में लाल होंठ दे देना..!! ©Prince_"अल्फाज़" अच्छा सुनो... . . . . ᴥ*maggie*ᴥ अdiति #शून्य राणा