बचपन और लोरी मां बिन रोते हुए को, चुप कौन करें, सिसकती बूंद को, आंखों से कौन पूछे, और नन्हे को कौन दुलारे....... हो अंधेरी रात या कोई दूसरी बात, डर लगे जब कभी मां बिन गले कौन लगाएं, मन कौन बहलाए, और दिलासा कौन दिलाए....... एक-एक बूंद गिरती जो मासूम की आंखों से कलेजा चीरे, जी दुखाएं, दिल जलाए, मां का...... आंखों से सिसकती बूंद बूंद नहीं अनमोल मोती है मां के लिए, ममता के लिए..... मां बिन........ सिसकती बूंद की, अहमियत कौन समझाएं, दर्द में कौन सहलाए, लबों पे मुस्कान कौन लाए..... #maabin