Nojoto: Largest Storytelling Platform

“सफ़र” - ‘एक प्रेम कथा'

      “सफ़र” 

               - ‘एक प्रेम कथा'


 उठ जा आलसी कितना सोएगा ..
फ़ोन के बार बार बजते अलार्म से तरूण की नींद खुली । (तरुण ने अपनी माता जी की आवाज़ को ही अपना अलार्म टोन सेट कर रखा था, घर पे मां उसे इन्हीं शब्दों से जगाया करती थी)

तरूण को ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए घर से दूर आना पड़ा था, कॉलेज के प्रथम और द्वितीय वर्ष में तो रहने के लिए उसे हॉस्टल मिल गया था पर तृतीय वर्ष में हॉस्टल नहीं मिल पाने के कारण तरुण ने कॉलेज से कुछ दूरी पर रहने के लिए कमरा ले रखा था ।

तरूण ने आंखें मिचते हुए अलार्म बन्द किया तभी उसकी नज़र वक़्त पे पड़ी सुबह के 8 बजकर 40 मिनट हो रहे थे तरुण पहले से ही लेट हो चुका था
वो उठा फ्रेश हुआ, जल्दी से ब्रश किया, मुंह धोया, बिना नहाए ही कपड़े बदले, बालों को हाथो से ही संवारा, अपना बैग उठाया और कॉलेज के लिए निकलने ही वाला था कि उसे ध्यान आया वो अपनी असाइनमेंट फाइल भूल रहा है जिसे सब्मिट करने का आज आखिरी डेट था ।
उसने मेज़ पे पड़ी फाइल उठाया (जिसे उसने देर रात तक जग कर पूरा किया था )और घड़ी की तरफ देखा 8 बजकर 53 मिनट हो रहे थे उसने एक लम्बी सांस ली अपने मन में ही वक़्त का एक हिसाब लगाते अपने छोटे से किचन में गया ब्रेड उठाया जैम लगाया और खाते हुए स्टेशन की तरफ निकल पड़ा जो उसके कमरे से तकरीबन तीन साढे तीन सौ मीटर की दूरी पर था ।( दरसअल वो स्टेशन एक छोटा सा हाल्ट था जहा ट्रेनें 1-2 मिनट के लिए रुका करती थी और वाहा से कुछ 7-8 लोग ही यात्रा करते थे) स्टेशन पहुंचते ही उसे पता चला कि ट्रेन 25 मिनट लेट है वो वही सीमेंट से बनी कुर्सी पर बैठा इंतज़ार करने लगा इसी बीच हल्की बारिश शुरू हो गई ।
      “सफ़र” 

               - ‘एक प्रेम कथा'


 उठ जा आलसी कितना सोएगा ..
फ़ोन के बार बार बजते अलार्म से तरूण की नींद खुली । (तरुण ने अपनी माता जी की आवाज़ को ही अपना अलार्म टोन सेट कर रखा था, घर पे मां उसे इन्हीं शब्दों से जगाया करती थी)

तरूण को ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए घर से दूर आना पड़ा था, कॉलेज के प्रथम और द्वितीय वर्ष में तो रहने के लिए उसे हॉस्टल मिल गया था पर तृतीय वर्ष में हॉस्टल नहीं मिल पाने के कारण तरुण ने कॉलेज से कुछ दूरी पर रहने के लिए कमरा ले रखा था ।

तरूण ने आंखें मिचते हुए अलार्म बन्द किया तभी उसकी नज़र वक़्त पे पड़ी सुबह के 8 बजकर 40 मिनट हो रहे थे तरुण पहले से ही लेट हो चुका था
वो उठा फ्रेश हुआ, जल्दी से ब्रश किया, मुंह धोया, बिना नहाए ही कपड़े बदले, बालों को हाथो से ही संवारा, अपना बैग उठाया और कॉलेज के लिए निकलने ही वाला था कि उसे ध्यान आया वो अपनी असाइनमेंट फाइल भूल रहा है जिसे सब्मिट करने का आज आखिरी डेट था ।
उसने मेज़ पे पड़ी फाइल उठाया (जिसे उसने देर रात तक जग कर पूरा किया था )और घड़ी की तरफ देखा 8 बजकर 53 मिनट हो रहे थे उसने एक लम्बी सांस ली अपने मन में ही वक़्त का एक हिसाब लगाते अपने छोटे से किचन में गया ब्रेड उठाया जैम लगाया और खाते हुए स्टेशन की तरफ निकल पड़ा जो उसके कमरे से तकरीबन तीन साढे तीन सौ मीटर की दूरी पर था ।( दरसअल वो स्टेशन एक छोटा सा हाल्ट था जहा ट्रेनें 1-2 मिनट के लिए रुका करती थी और वाहा से कुछ 7-8 लोग ही यात्रा करते थे) स्टेशन पहुंचते ही उसे पता चला कि ट्रेन 25 मिनट लेट है वो वही सीमेंट से बनी कुर्सी पर बैठा इंतज़ार करने लगा इसी बीच हल्की बारिश शुरू हो गई ।
deepkush8697

Deep Kush

New Creator