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जन-जन में रोमांच है छाया, रंगों का त्योहार जो आया।

जन-जन में रोमांच है छाया, रंगों का त्योहार जो आया।
कोई लाया पिचकारी संग, कोई अबीर-गुलाल है लाया।

हरा, संतरी, पीला, नीला, कोई लाया रंग है लाल।
गुब्बारे कि जो बात करूं, उसका तो अपना अलग कमाल।

बच्चे, बूढ़े सब एक हुए, मिट गया सालों का अंतर।
होली एक त्योहार ना होकर, बन गया खुशियों का मंतर।

बाहर रंग है, गुब्बारे हैं और है पानी कि बौछार।
घर के अंदर भी गज़ब नज़ारे, हैं पकवानों कि भरमार।

भूल गए सब गिले व शिकवे, सबने अपनी बांहें खोली।
प्यार बांटना, खुशी बांटना, यही सिखाता सबको होली। (२)

                                                 -आशुतोष मिश्रा #होली_की_शुभकामनाएं।
 #bura_na_mano_holi_h.
जन-जन में रोमांच है छाया, रंगों का त्योहार जो आया।
कोई लाया पिचकारी संग, कोई अबीर-गुलाल है लाया।

हरा, संतरी, पीला, नीला, कोई लाया रंग है लाल।
गुब्बारे कि जो बात करूं, उसका तो अपना अलग कमाल।

बच्चे, बूढ़े सब एक हुए, मिट गया सालों का अंतर।
होली एक त्योहार ना होकर, बन गया खुशियों का मंतर।

बाहर रंग है, गुब्बारे हैं और है पानी कि बौछार।
घर के अंदर भी गज़ब नज़ारे, हैं पकवानों कि भरमार।

भूल गए सब गिले व शिकवे, सबने अपनी बांहें खोली।
प्यार बांटना, खुशी बांटना, यही सिखाता सबको होली। (२)

                                                 -आशुतोष मिश्रा #होली_की_शुभकामनाएं।
 #bura_na_mano_holi_h.