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कविता, गजल नहीं,अपनी बात लिखता हूँ यारा बेचैन हो र

कविता, गजल नहीं,अपनी बात लिखता हूँ
यारा बेचैन हो रहे अपने जज्बात लिखता हूँ।

ऊँची  तामीरें  देखकर खुश नहीं  दिल मेरा
उजड़े खेत खलिहान, सूखे पात लिखता हूँ

©Kamlesh Kandpal
  #Jjbaat