मन का यह मंदिर, जो हृदय का रुप पाया है, इसमें अपने आराध्य की मूरत को बसाया है। तू छलिया है, तेरी लीला तू ही जाने कान्हा, तू श्याम है तो मैंने भी राधा का दिल पाया है। 🎀🎀 नमस्ते दोस्तों ! 🎀🎀 💝 प्रतियोगिता - ४२ 💝 शीर्षक दिया गया है उसी के अनुसार ही लिखें । 💝 मात्र चार पंक्तियां में अपनी रचना को लिखें ! 4 पंक्तियां से कम या फिर ज्यादा लिखने वाले प्रतियोगिता को इस कंपटीशन मैं एक हिस्सा बनाया नहीं जाएगा ।