Gd एक सपना बिखर रहा था#### उसका कच्चा मकान ढह रहा था मानो उसका एक सपना बिखर रहा था जहां उसने अपना बचपन बिताया था.... जिस घर की गलियों से उसका बचपन का रिश्ता था जिस टूटे घर से उसका बचपन का नाता था और एक पहर की बारिश में सब डूब रहा था मानो उसका एक सपना बिखर रहा था यह सब देखते हुए वह गांव की गलियों को छोड़कर शहर जा रहा था मानो उसका एक सपना बिखर रहा था जिस गांव की मिट्टी पर बैठकर उसने अपना बचपन गुजारा था और अब वह गांव की गलियों को छोड़कर शहर जा रहा था मानो उसका एक सपना बिखर रहा जिस गांव की मिट्टी उसे अपने से जोड़े रखती थी और उस पूरे घर का खर्च अकेले चलाने की जिम्मेदारी उसे तोड़े रहती थी उस शहर की भीड़ में वह खुद को अकेला पा रहा था और अब उसका सपना टूट रहा था मानो अंदर ही अंदर वह घुट रहा था #villagequotes #citylifequotes #alonrle