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सबकी अपनी-अपनी मजबूरियां है ,कमज़ोरियां है क्या कर

सबकी अपनी-अपनी मजबूरियां है ,कमज़ोरियां है
क्या करें मेरी कमज़ोरियां ज्यादा, मजबूरियां कम है

क्या गम है जो आज नजदीकियां अहम है
तू आज भी करीब है, ये फासला तो बस वेहेम है

क्या हुआ जो आज थोड़े तन्हां से हम है
ये अकेलापन, ये खामोशी हर दर्द का मरहम है

दिल तो चंचल है, फिर क्यों व्याकुल मन है
तेरी यादों की खुशबू में डूबा ये तन-बदन है

आज फिर आंखें थोड़ी नम है, तेरे बिना सब बेरंग है 
तो अब होश में क्यों रहूं में, जब सपनों में तू मेरे संग है

©Manku Allahabadi होश में क्यों रहूं में, जब सपनों में तू मेरे संग है !!
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सबकी अपनी-अपनी मजबूरियां है ,कमज़ोरियां है
क्या करें मेरी कमज़ोरियां ज्यादा, मजबूरियां कम है

क्या गम है जो आज नजदीकियां अहम है
तू आज भी करीब है, ये फासला तो बस वेहेम है
सबकी अपनी-अपनी मजबूरियां है ,कमज़ोरियां है
क्या करें मेरी कमज़ोरियां ज्यादा, मजबूरियां कम है

क्या गम है जो आज नजदीकियां अहम है
तू आज भी करीब है, ये फासला तो बस वेहेम है

क्या हुआ जो आज थोड़े तन्हां से हम है
ये अकेलापन, ये खामोशी हर दर्द का मरहम है

दिल तो चंचल है, फिर क्यों व्याकुल मन है
तेरी यादों की खुशबू में डूबा ये तन-बदन है

आज फिर आंखें थोड़ी नम है, तेरे बिना सब बेरंग है 
तो अब होश में क्यों रहूं में, जब सपनों में तू मेरे संग है

©Manku Allahabadi होश में क्यों रहूं में, जब सपनों में तू मेरे संग है !!
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सबकी अपनी-अपनी मजबूरियां है ,कमज़ोरियां है
क्या करें मेरी कमज़ोरियां ज्यादा, मजबूरियां कम है

क्या गम है जो आज नजदीकियां अहम है
तू आज भी करीब है, ये फासला तो बस वेहेम है