मुझे लिखना नही आता यारों यूँ ही काग़ज़ ख़राब करता हूँ.. लिखता हूँ सपने यादों की क़लम से अक्सर रातो की नींदे ख़राब करता हूँ चुन चुन कर लाता हूँ दिल केअरमान बाजार से पड़ते ही कहते हैं में ख़रीदारी ख़राब करता हूं मुझे लिखना नही आता यारों यूँ ही काग़ज़ ख़राब करता हूँ.. ।। रौनक़ वासुदेव ।। 0 #InspireThroughWriting shalini singh Sudha Tripathi