कौन अब तुम्हे रोकता होगा , पहल करने से पहले अब कौन सोचता होगा । अब कोसों दूर इश्क़ कौन करता होगा, मांझी सा मानुष कौन ही होता होगा ।। दरियों से समुंदर तक पत्थर से पहाड़ तक पहल से प्रेम पत्र तक अब कौन ही तुमसे सवाल करता होगा , सुबह मेरी जैसे कौन ही तुम्हारी करता होगा , लेकिन एक सिर्फ तू ही होगा जो खुद से आज भी झूठ बोलता होगा । फिर भी कौन अब तुम्हे रोकता होगा , पहल करने से पहले अब कौन सोचता होगा । #batar & Reformation .. #poem