शहर सुड़क सुड़क चाय की चुस्कियां सड़क पर गलबांह डाल चलती मस्तियां ठेलों पर ठहाकों का मोल तोल घर्र पों पी ऐ भाई पिर्र हा हा हा का मेल जोल चौराहे पर दाना चुगते कबूतरों की फड़फड़ गाड़ियों के बीच दौड़ते ताँगों की तड़बड़ अधूरे निर्माण पर मजदूरों के साथ खड़ा इंजीनियर किताब के कवर पर बैठ कांच से झांकता शेक्सपियर सिग्नल पर लोगों की हसरतें जगाता बच्चों का हुजूम जेब्रा क्रॉस पर खड़ी गाड़ियों की घरुम घरुम कहीं बर्फ के गोले कहीं रंगीन परिधान धुंए सा रंगता, तेज धूप में पकता, काला आसमान गटर के होल से निकलता आधा इंसान पग पग पर लंबी कतारें, धक्का मुक्की और खींचतान एक ही भीड़ का हिस्सा, मगर अनजान अवसाद के तेल में तलते हुए तन्हाई के पकौड़े चले जा रहे हैं खुद पर नाक भौं सिकोड़े आदत से परेशान मगर फिर भी ना छोड़ें हर भाषा हर मजहब हर प्रांत का आदमी दंगे तोड़फोड़ करता घर की चौखट का शांत सा आदमी यहाँ हवा में फिक्र, फेफड़ों में जहर है न करो गांव का जिक्र, सुनो! ये शहर है। #nojoto #nojotohindi #hindi #hindii #kavita #hindikavita #hindipoem #hindiwriters #hindilekhan #hindipoems #hindipoet