❤माँ के लिए ऐसा क्या लिखू अब कुछ समझ नही आता है लिखने को लग जाता हूँ पर दिन कम पड़ जाता है उनकी वो लोरी उनके हाथो के बना खाना अब बहुत याद आता है वो यादो का पिटारा मुझे हर रोज यादो से रूबरू करा कर जाता है माँ के लिए ऐसा क्या लिखू अब कुछ समझ नही आता है लिखने को लग जाता हूँ पर दिन कम पड़ जाता है❤ #NojotoQuote #maa❤