चाहती हूं तुम्हें लिखूं और यों लिखूं कि मिटाना ना पड़े जैसे गमले में खिले गुलाब पर ईश्वर ने लिखा है नेह शाश्वत द्वेष की कंटीली बिसात पर मुस्कुराता हुआ अटल सत्य सुंदर भीनी खुशबुओं की ये ग़ज़ल जब जब पढ़े महके नज़र सुन ले तो जी निहाल हो पाए इक नई उमर क़मर सजता रहे तराना ये हर इक सदी के होठ पर #toyou #yqlove #yqpassion #yqhumanity #yqdenseforest #yqwilderness #yqniche