पहला दिन था मेरा भी तेरा भी शायद कॉलेज का वो, पहली दफ़ा मिला कोई इक दोस्त, अभी तक केवल स्कूलों में जो देखा था मैंने, पर ये कुछ एहसास अलग सा था, महसूस हुआ शायद मुझको और तुझको भी, पर वक़्त कभी क्या किसी जगह पे टिकता है? अच्छा फिर सुन तो क्या तू अब भी लिखता है??? कभी बनाया मुझको बादल कोई रेत का महल, कभी इक ताजमहल, वो बात बात पर फ़िकर मिरी, जो भूले से न भूली जा सकती है लेकिन, जीवन की राहों में तूने मुझको जीना सिखा दिया, सुन !! क्या वो कन्धा तेरा अब भी दुखता है? अच्छा फिर सुन तो क्या तू अब भी लिखता है??? क्या तू अब भी #yqdidi #yqhindi #yqhindipoetry