टूटता तो न मैं उससे फरियाद करती तारे तो युही बहाना है, मुकम्मल ख्वाहिशों की ख्वाहिशें तो पूरी खुद से की जाती है। समन्दर हूँ फिर भी पानी को तरस गया ज़ख़्म दिल पर हज़ारों है फिर भी ज़िंदगानी को तरस गया।